देवझर का प्राकृतिक सौंदर्य चारों और बिखेर रहा अपना छटा
फोटो-सोमेश सांकला,आम्ब
रतलाम- (Ratlam) जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर व आम्बा से 10 किलोमीटर दूर चारों ओर पहाड़ियों में बसा अति प्राचीन देवझर महादेव मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से अपने चारों और अनुपम छटा बिखेरता दिखाई दे रहा है।
प्राकृतिक स्थल देवझर में 45 फिट से उपर से गिरने वाला बरसाती झरना यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता नजर आ रहा है। मूसलाधार बारिश के दौरान यह बरसाती झरना अपने पुरे विकराल रूप दिखाई देता है। दुर दराज से पर्यटक यहां पर खास कर रविवार और सोमवार को पिकनिक मनाने को आते है। देवझर में घीरता बरसाती झरने के समिप प्राचिन मंदिर भी मौजूद है। मंदिर में बाबा भोलेनाथ की शिवलिंग मौजूद हैं। सावन माह शुरू होते ही यहां खास कर सावन सोमवार को श्रृद्धालु भोल बाबा के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या मे पहुंचते है।
पंडित सीताराम ने बताया कि सावन मे दूर-दूर से भक्तजन दर्शन करने व पिकनिक मनाने आते हैं। पहाड़ियों में बसा प्राकृतिक स्थल होने से भक्तो को काफ़ी अच्छा लगता है। गांव के वरिष्ठ कालूराम ने बताया की यह स्थान लगभग 500 साल पुराना है। यह मंदिर 20 सालों से भक्तों की आवाजही ज्यादा होनें लगी है। मंदिर के अंदर दौ गुफाए है। गुफाएं प्राचीन काल से हैं। जो की प्रतापगढ़ जिले के अरनोद में गौतमेश्वर मंदिर पर निकलती है। यहां मन्नत पूरी होती हैं। विशेष श्रावण मास में भक्तों का आना जाना काफी रहता है। पहाड़ियों मे बसा होने के कारण भक्तो को काफ़ी पसंद आता है।
स्थल पर ऐसे पहुंचा जा सकता है-
यहां पर बसों का आवाजाहि नहीं है। स्वयं के टू व्हीलर फोर व्हीलर से पहुंच सकते हैं। रतलाम से सैलाना व सैलाना से अंबा आना पड़ता है। आम्बा से कोटड़ा गांव है। गाड़ी को 500 मीटर दूर पार्क करना पड़ेगा। वहां यदि आप इस पिकनिक स्पॉट पर घूमने जा रहे हैं तो 500 मीटर दूर रखकर पैदल जाना पड़ेगा। पहाड़ से नीचे उतरने के लिए सीढिया मोजुद है। जोकी यह सीढियां सीधे महादेव मंदिर तक पहुंचती है। ओर यहां पर आने तक सावधानी भी जरूर बरतनी है। मंदिर तक पहुंचने के लिए बड़े झरने को पार करना पड़ता है।ओर झरने में ज्यादा पानी होने पर झरना पार नहीं कर सकते हो। यह जगह व झरना जितना खुबसूरत है। उतना ही खतरनाक है। जहां पर सावधानी बरतना बहुत ज़रूरी है।